या अली मदद | Istagatha (Hindi)

 


Istagatha (Hindi)


क्या या अली मदद कहना सहि हैं?


इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी की मदद के लिए

दुआ करने को “इस्तग़ासा” (istagatha) कहा जाता है।


इस विषय में हमें कुरान की कई आयतें मिलती हैंमिसाल के लिए सूरह अंबिया पद्य 28 जिस में अल्लाह फ़रमाते है:


वह जानता हैजो उनके सामने है और जो उनसे ओझल है। वह किसी की सिफ़ारिश नहीं करेंगेउसके सिवा जिससे वह (अल्लाहप्रसन्न[[अर्थात जो एकेश्वरवादी होंगे।]] हो तथा वह उसके भय से सहमे रहते हैं।”(२१:२८) (21:28)


इस से हमें ये पता चलता है कि अल्लाह के क़रीब कुछ 

ऐसे लोग है जिन को अल्लाह ने हमारी मदद करने की

अनुमति दी है।


ये लोग हमारी मदद सिर्फ़ अल्लाह की इजाज़त के साथ 

कर सकते है।अल्लाह की इजाज़त और इच्छा के बिना कोई भी हमारी सहायता नहीं कर सकता है।


अंतिम में अल्लाह ही हमारा मददगार हैलेकिन हम 

अल्लाह के क़रीब पहुँचने के लिए उनके चुने हुए 

नौकरों की सहायता ले सकते है।अल्लाह के इन चुने हुए नौकर सिर्फ़ अल्लाह की इजाज़त के समेत हमारी मदद कर सकते है।


इस का प्रमाण क़ुरान की इस आयत में मिलता है:


और जब उन लोगों ने अपने ऊपर अत्याचार कियातो यदि वे आपके पास आतेफिर अल्लाह से क्षमा याचना करते तथा उनके लिएरसूल क्षमा की प्रार्थना करतेतो अल्लाह को अति क्षमाशील दयावान् पाते।”(:५४) (4:64)


अल्लाह कहते है की अगर आप को अल्लाह की क्षमा 

चाहिए तो आप उनके चुने गए रसूल के पास आकार क्षमा की दुआ मांगे ओर उनके माध्यम से अल्लाह आप की दुआ स्वीकार कर लेंगे।


अब हम इसका एक नमूना इस्लाम के छठे इमाम ,

इमाम सादिक़ के शब्दों में देखेंगे:


मेरे पिता और माता तुम्हारे लिए बलिदान किए जा सकते हैं [ऐ अली], मैं तुम्हारे पास नरक से शरण लेने के लिए आया हूंजिसके लिए मैं अपने खिलाफ किए गए अपराधों [यानी पापोंके कारण योग्य हूं।” [al-Kafi]


इस दुआ में , जोंकें इमाम सादिक़ की शिक्षाएँ में से है

यहाँ पर मौला अली के माध्यम से अल्लाह को दुआ की जा

रही है  


यह हमारी चर्चा का अंत हैआशा है कि आपने कुछ नया सीखा  अल्लाह की कृपा आप सभी पर बनी रहे | 


और अल्लाह आकाश तथा धरती में सब कुछ जानता है।  

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